Thursday, 24 February 2011

वर्ल्ड कप पर विशेष



एक शायरी सुनियें जरा गौर से...................................



एक हसीन सी लकड़ी थी, दीवानी सी....................................


सचिन पे जो मरती थी.................................


चोरी चोरी, चुपके चुपके हरभजन को ख़त लिखती थी...........................


नजरें झुका के, थोडा शरमा के, गंभीर से बाते करती थी........................


कभी- कभी जुल्फे बिखेर के, सहवाग की गलियों से गुजरा करती थी..


शायद कुछ कहना था रैना से उसको.............................


पर धोनी से वह डरती थी..............................


जब भी मिलती थी युवराज से, 


बस यही पूछा करती थी................................................


कि...............................................


कि.............................................


कि............................................


कि.................................................


कि अप 83 वाला इतिहास कब दोहराओगे जी और अगला वर्ल्ड कप 


आखिर कब जीतोगे...........................भैया......................... 




दीपक  



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