नई दिल्ली। देखने में घिनौना-दिखने वाला कॉकरोच यानी तिलचट्टा और टिड्डी के दिमाग के ऊतक यानी टिश्यू मानव शरीर की कोशिकाओं को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर 90 प्रतिशत से भी अधिक औषधि प्रतिरोधी जीवाणुओं को नष्ट करने की ताकत रखते हैं।
नाटिंघम यूनीवसिर्टी के एक वैज्ञानिक साइमन ली का कहना है कि उन्होंने तिलचट्टे और टिड्डी के मस्तिष्क में मौजूद ऐसे ऊतकों के मॉलीक्यूल का पता लगाया है, जिससे एक ऐसी दवा बनाई जा सकेगी; जो ई कोली और एमआरएसए (मेथिसिलिन रेजिस्टेंट स्टैफीलोकोकस यूरस) यानी बैक्टीरिया का एक ऐसा स्ट्रोन जो मल्टी ड्रग रजिस्टेंट हो, को नष्ट कर सकेगी।
इस वैज्ञानिक ने तिलचट्टे और टिड्डी के मस्तिष्क के ऊतकों में नौ ऐसे मॉलीक्यूलों का पता लगाया है, जो जीवाणुओं के लिए एक प्रकार से जहर का काम करेंगे और उनका मनुष्य की कोशिकाओं पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पडे़गा।
उनका कहना है कि इन मॉलीक्यूल की मदद से मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट बैकटीरियल इन्फैक्शन का एक नए और कारगर ढंग से उपचार करना संभव हो सकता है। इन जीवों के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र यानी के ऊतक से 90 प्रतिशत से भी अधिक एमआरएसए और ई कोली जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकेगा, जबकि उनका मनुष्य की कोशिकाओं पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
उनका कहना है कि इन मॉलीक्यूल की मदद से मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट बैकटीरियल इन्फैक्शन का एक नए और कारगर ढंग से उपचार करना संभव हो सकता है। इन जीवों के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र यानी के ऊतक से 90 प्रतिशत से भी अधिक एमआरएसए और ई कोली जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकेगा, जबकि उनका मनुष्य की कोशिकाओं पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
अनुसंधानकर्ता का मानना है कि इन जीवों के मस्तिष्क में मौजूद प्रोटीन इन जीवाणुओं को नष्ट करने में मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। ‘लास एंजलीस टाइम्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि साइमन ली अपनी इस उपलब्धि को इसी सप्ताह नॉटिंघम में होनेवाले सोसायटी फॉर जनरल माइक्रोबाइलॉजी सम्मेलन में प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
तब तो बडे काम के निकले ये काक्रोच !!
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