Wednesday 8 September 2010

कुछ शायरी हो जाये

१) Packing Start कर दो,
फिर  नहीं  कहना  कि बताया  नहीं,
अभी कुछ दिन  बाकी  हैं,
रमजान का  चाँद  नज़र आनें  में,
नज़र  आते ही  आपको १  Month के  लिए  बंद  कर दिया जायेगा..


२) तेरी  एक  हसी  पे  ये  दिल  कुर्बान  कर  जाऊ,


ऐतराज़  ना  हो  अगर  तो  तेरा  दिल  चुरा  ले  जाऊ,
न  बहने  दू  कभी  इन  आखो  से  आंसू,
तू  कहे  तो  तेरे  सारे  सितम  सह  जाऊ.
हँसता  हुआ  रखु  तेरे  लबो  को  हमेशा,
चूमकर  जिन्हें  वोह  प्यारी  मुस्कान  दे  जाऊ,
सीने  से  लगा  के  रखु  तुम्हे,
मन तो  करता  है  तुझमे  समां  जाऊ.
सुनती  ही  रहू  तुम्हारी धडकनों  को,
और  अपने  दिल  कि  हर  बात  कह  जाऊ,
गम  को  कभी  करीब  ना  आने  दू ,
और  तुम्हे  ज़िन्दगी  कि  खुशिया  तमाम  दे  जाऊ...................... 

३) दर्द को  ना  देखिये  दर्द  से 
दर्द  को  भी  दर्द  होता  है
दर्द  को  भी  ज़रुरत  है  प्यार  कि
आखिर  प्यार  में  दर्द  ही  तो  हमदर्द  होता  है.........................


४) जो  दिल  में  है  वो  लिख  डाला  है  हमने  
के  इस  तरह  प्यार  बेशुमार  तुमसे  करते  है
है  जान  हाज़िर  अगर  तुम  कहो  तो
हम  तो  अपना  दिल 
तुम्हारे कदमो  में  रखते  है........................


वाह वाह वाह वाह.................क्या बात है






दीपक 



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