जापानी मिठाई का दिन
16 जून को, जापानी मिठाई का दिन था। सुना है कि सन् 848, जापान में महामरी से ज़्यादा लोग मर गए। उसी समय के सम्राट महामरी हटाने को भगवान से प्रार्थना करके 16 मिठाइयाँ चढ़ाएँ। उस दिन को जापानी मिठाई का दिन रखा था।
रोज किसी का दिन है। इसलिए ख़ासकर ध्यान नहीं रखती हूँ, फ़िर भी मुझे जापानी मिठाई बहुत पसँद है।
भारतीय मिठाई अधिकतर दूध, बेसन, घी, मासाले और चीनी से बनी है। यूरोप की तो मैदा, अंडा, मक्खन और चीनी से। और जापानी मिठाई, अधिकतर चावल, चीनी और बीन से बनी है। तेल मक्खन के बिना, कैलोरी कम है। बीन, खासकरअज़ुकि बीन बहुत ज़्यादा इस्तेमाल की जाती है। बाकला या दूसरे बीन भी हम उपयोग करते हैं। लगता है अज़ुकि का स्वाद मूँग से मिलता जुलता है।
अज़ुकि (लाल) ,मूँग, बाकला
जैसी देखने में बिल्कुल दाल, जापान में ऐसी मिठाई भी होती है।
ज़ेंज़ाई
कूटे अज़ुकि ख़ासकर अंको कहाकर जैसा मसला डोसे के मासाला, चावल या मैदे से बनी पिंड या लड्डू में डालते हैं।बोतमोचि, अंको से लिपटे हुई चावल है।
एक बार भारत में एक घर में, मैने जैज़ा अंको देखा है।
इस से बना मीठा पराठा खाया। इस का नाम क्या है?
यह मिनाज़ुकि का नाम मिठाई है। मिनाज़ुकि, पुरानी जापानी में 'जून' है। कहा जाता है कि जून के अंतिम दिन ( 30 तारीख) को यह मिठाई खाकर बाकी आधा साल का नीरोगता को प्रर्थना करें तो अच्छा है। यह भी चावल आटा, मैदा या कोई स्टार्च, चीनी और अज़ुकि से बनी है।
वाह क्या बात है मुह में पानी आ गया
दीपक
MITHAI KB KHILAA RAHE HO BHAI ?
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