यदि घर में रखे पत्थर स्वत: ही कोई आकृति लेने लगें तो क्या आप विश्वास करेंगे। आम तौर पर हर किसी का जवाब होगा- यह संभव नहीं है। विज्ञान तो कतई विश्वास नहीं करेगा। मगर शहर के एक श्रद्धालु की बात पर विश्वास करें तो उसके घर में रखे साधारण-से तीन पत्थर स्वत: ही कुछ धार्मिक प्रतीकों की आकृतियां ले रहे हैं। इनमें जो आकृतियां उभर रही हैं, वे गणेशजी, हनुमानजी और मां दुर्गा के रूप में दिखाई देती हैं। इनमें गणेशजी की आकृति तो स्पष्ट दिखाई देती हैं।
हालांकि अन्य दो आकृतियां इतनी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन उन्हें गौर से देखने पर एक में हनुमाजी के चेहरे का आभास होता है, जबकि तीसरे पत्थर में अभी आउटलाइन उभर रही हैं। इस श्रद्धालु का कहना है कि मां दुर्गा की आकृति का आकार ले रही है, क्योंकि त्रिशूल इसमें स्पष्ट दिखाई देने लगा है।
वैसे हिंदू मान्यता है कि यदि अपने ईष्टदेव में दृढ़ आस्था, समर्पण और भक्ति हो तो पत्थर भी बोलने लगते हैं। शहर के जौहरी बाजार में भौमियों के रास्ते में रहने वाले अरविंद चौधरी भी अपनी मान्यताओं के प्रति इतने ही आस्थावान, समर्पित और दृढ़ हैं। उनका दावा है कि इन पत्थरों में यह बदलाव आने का क्रम गत एक साल से चल रहा है और जिस तरह से इनमें आकृतियां उभर रही हैं, वे आगामी कुछ महीनों में स्पष्ट दिखाई देने लगेंगी।
हालांकि अन्य दो आकृतियां इतनी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन उन्हें गौर से देखने पर एक में हनुमाजी के चेहरे का आभास होता है, जबकि तीसरे पत्थर में अभी आउटलाइन उभर रही हैं। इस श्रद्धालु का कहना है कि मां दुर्गा की आकृति का आकार ले रही है, क्योंकि त्रिशूल इसमें स्पष्ट दिखाई देने लगा है।
वैसे हिंदू मान्यता है कि यदि अपने ईष्टदेव में दृढ़ आस्था, समर्पण और भक्ति हो तो पत्थर भी बोलने लगते हैं। शहर के जौहरी बाजार में भौमियों के रास्ते में रहने वाले अरविंद चौधरी भी अपनी मान्यताओं के प्रति इतने ही आस्थावान, समर्पित और दृढ़ हैं। उनका दावा है कि इन पत्थरों में यह बदलाव आने का क्रम गत एक साल से चल रहा है और जिस तरह से इनमें आकृतियां उभर रही हैं, वे आगामी कुछ महीनों में स्पष्ट दिखाई देने लगेंगी।
दीपक
दृद आस्ता, समर्पण और भक्ति को कोटिश: नमन.
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