Monday, 25 October 2010

पितृ के प्रति श्रध्दा होना चाहिए (भाग-5)


पिछले भाग का शेष..............................................................

कन्या राशि में सूर्य के प्रवेश काल से पितृ इस धरती पर आते है और वृश्चिक राशि पर्यन्त सूर्य के रहने तक अपने वंशजों द्वारा श्राद्ध क्रिया का  इंतजार करते है, यदि इस अवधि में उनके निमित श्राद्ध अथवा तर्पण नहीं किया जाता तो वे नाराज होकर अपने धाम लौट जाते है और उनकी नाराजगी कई सालो व पीढ़ियों तक बनी रहती है | इस पितृ श्राप की पहचान जातक की लग्न कुंडली से हो जाती है | यथा लग्न एवं पंचम भाव का पाप ग्रहों से ग्रसित हो जाना, कुंडली में सर्प दोष आदि इस पितृ श्राप की निशानी हैं | 



दीपक 

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...